Friday, April 29, 2011

बड़ा आदमी

मै: भैया यहाँ रूम बुकिंग का कौन देखता है?
चौकीदार: मै ही देखता हूँ, क्या हुआ?
मै: तो मै एक घंटे से आपको ढूंढ रहा हूँ,यहाँ कोई नहीं था
चौकीदार: कहाँ से आये हो?
मै: अहमदाबाद
चौकीदार: मै घूमने के लिए गया था
मै: रात में ४ बजे?
चौकीदार: हाँ, आप एक घंटे से यहाँ इंतज़ार कर रहे हो?
मै: हाँ
चौकीदार: आपने किसीको नींद से जगाया तो नहीं यहाँ?
मै: हाँ, वो जो पहली रूम में अंकल है उनको पूछा, लेकिन उनको कुछ पता नहीं
चौकीदार: उनको पूछा? उनको कुछ नहीं पूछने का
मै: क्यूँ? (typical me!)
चौकीदार: वो बहूत बड़ा आदमी है! जज साब है!

Saturday, April 23, 2011

will miss you!

The window....

 the view......
 the moon......
 the river.... the bridge...
all this as seen from my bedroom, I will miss. Strange enough, we are shifting to a new house which is just next door, same floor, same building.... and still I will miss all this..... Truth, they say, is stranger than imagination! I hope the change will prove to be nice in some other way, unknown yet!

(more about the bridge here.)